स्वामी ऋतमानन्द जी अंगिरा
आप पाली जिले के प्रभावशाली विद्वान संन्यासी है। आपका जन्म श्री नत्थूरामजी बरड़वा के घर ग्राम दुरगाजी गुड़ (जाणुण्दा) तहसील मारवाड़ जंक्शन जिला पाली-मारवाड़ में आसोज शुक्ला 13 विक्रम संवत् 1957 को हुआ। स्वामी जी ने लाहोर (पाकिस्तान) से विज्ञान विषय में स्नातक की शिक्षा ग्रहण की। आप व्यवसाय के लिए पाली आकर स्थानीय चौधरियों के बास में रहने लगे एवं स्थानीय बांगड़ मिल में कार्य करने लगे। स्वामीजी श्री विश्वकर्मा जांगिड समाज सेवा समिति, पाली के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।
मिठाकली अहमदाबाद आश्रम के श्री समर्थ रामजी महाराज आपके गुरु थे एवं श्री शमर्वणानन्दजी सरस्वती के द्वारा आपने संन्यास ग्रहण किया। तभी से आप स्वामी ऋतमानन्द अंगिरा के नाम से जाने जाने लगे।
आपने स्थानीय रेल्वे घुमटी सोजत रोड़ पाली में अपनी स्वयं की निजी भूमि पर गुरूकुल विज्ञान आश्रम की स्थापना कर कार्य प्रारम्भ किया। जहां आप विद्यार्थियों को गुरुकुल शिक्षा सहित वेद संबंधी शिक्षा भी देते थे। स्वामी जी अपने आश्रम पर आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से जटिलतम बीमारियों का ईलाज भी करते थे जहां इनके पास दूर-दराज से ईलाज करवाने आते थे। आप संस्कृत के अच्छे ज्ञाता थे। स्वामीजी को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति एवं नाड़ी रोग का अच्छा ज्ञान था, इसके साथ ही आप आध्यात्मिक विषय के क्षेत्र में अद्वितीय विद्वान थे , आपको वेदों से लेकर ब्राह्मण ग्रंथो, दर्शन शास्त्रों, उपनिषदों आदि वैदिक साहित्य का अच्छा ज्ञान था। आपको सनातन धर्म के अलावा ईस्लाम, ईसाई, बौद्ध, जैन व सिख धर्मों की विशेष जानकारी थी। आप स्वामी अग्निवेश के साथ भी रहे।
आपका स्वर्गवास दिनांक 28.12.2006, मंगलवार को हुआ व अंतिम संस्कार दिनांक 30.12.2006 को किया गया। स्वामीजी के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।