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सन्त शिरोमणी पूज्यपाद श्री प्रहलाद जी शर्मा (वाणीकर्त्ता)

आपका जन्म ग्राम बडौदा (दीगोद, कोटा) में हुआ। पिता की इकलौती संतान होने के कारण अधिक लाड़-प्यार में रहे। कक्षा चतुर्थ तक ही शिक्षा प्राप्त कर सके, क्योंकि आप पढ़ने के लिए स्कूल तो जाते थे परन्तु स्कूल नहीं पहुँच कर मार्ग में महात्मा के आश्रम में रह जाते थे। महात्मा की बड़ी सेवा की। महात्मा जी की भी आप पर विशेष कृपा थी।
आपको हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू फारसी आदि कई भाषाओं का ज्ञान हुआ, जिससे वाणी सुनने कई भक्तजन आने लगे। कश्मीर नरेश कर्णसिंह जी राज्यपाल सरदार हुकुम सिंह जी, राजस्थान राज्य के अनेक मंत्रीगण, राज्याधिकारी व आम जनता आपकी वाणी सुनने को आते ही रहते है। प्रश्नकर्ता भक्तों का कार्य भी सिद्ध होता है। कोटा राजकुमार तो अक्सर आपके पास आते है।
इसके अतिरिक्त जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, करौली के राज परिवार भी आते हैं। विज्ञान मेले के समय एक बार प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी आपकी वाणी सुनी थी। यह इस समाज का परम सौभाग्य है कि आप जैसे उच्च कोटि के सन्त ने जन्म लिया, परन्तु अब तो आप वसुदैव कुटुम्बकम् की भावना से दुःखी जनों का कष्ट दूर कर प्राणी मात्र की सेवा कर रहे है।