स्वामी निष्कुलानन्द
हालार प्रान्तान्तर्गत शेषपाट ग्राम में सन् 1865 में श्री रामभाई तथा श्रीमती अमृत बा के यहां आपका जन्म हुआ। आपकी बचपन से ही वैराग्य की ओर प्रवृत्ति थी, परन्तु पिता के आग्रह से कुछ काल के लिए गृहस्थ धर्म स्वीकार कर तदनन्तर भगवान श्री स्वामी नारायण से दीक्षा लेकर लाल जी से निष्कुलानन्द बन गये।
आप उच्च कोटि के सुविख्यात संत प्रकाण्ड पण्डित एवं कवि हुये। आपने 23 काव्य ग्रंथों की रचना की। 22 प्रकरण ग्रन्थ लिखे हैं जिनमें भक्त चिन्तामणी सर्वोत्तम है, जिसमें 194 प्रकरणों का वर्णन है। 7 हजार दोहे चौपाईयों में छन्दोबद्ध किया है।
आपने अपने प्रभाव से अनेकों धर्मशाला एवं देव मंदिरों को निर्माण कराया। इस प्रकार असंख्य मुमुक्षुओं को उपदेशामृत पान करा कर 1957 में 92 वर्ष की आय में ब्रह्मलीन हुये।