योगिराज स्वामी मुकन्ददास
नागौर जिले के भदाणा ग्राम में जांगिड कुलभूषण पं. मेघराज बरडवा के यहां आषाढ़ शु. 4 सन् 1910 में आपका जन्म हुआ।
अत्यधिक विषय वासना के शिकार होने से असाध्य क्षय रोग से ग्रसित हुये। सब ओर से निराश होकर ताडसर ग्राम में महात्मा सीताराम जी योगेन्द्र के आश्रम में शरण ली। उन्होंने प्राणायाम द्वारा क्षय रोग को दूर कर दिया। आपने 1946 में महामुद्रायोग का अभ्यास किया। 4 वर्ष पश्चात् सर्प ने काटा परन्तु आपको विष का कुछ भी असर नहीं हुआ। परन्तु आपने इसी पर सब सम्पत्ति दान कर दी तथा साधु बन गये।
एक वर्ष भारत के तीर्थों की यात्रा कर जोधपुर के निकट चैनपुरा गांव के श्मशान में दो वर्ष तक योगाभ्यास किया। समाधि सिद्ध होकर कुण्डलिनी साधक योग दीपिका नामक योग के प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की, जिसमें अत्यन्त सरल भाषा में योगाभ्यास के गुढ़ रहस्य को समझाया। गांव-गांव से चन्दा एकत्र कर विश्वकर्मा मंदिर, नागौर का जीर्णोद्धार भी कराया।