स्वामी मोतीराम जी
आप श्री लक्ष्मीनारायण, गुलाबराय नवलगढ़ के कनिष्ठ भ्राता थे। अच्छे आर्य भजनोपदेशक थे। कुछ काल गृहस्थ रहकर संन्यासी बन गये तथा समाज सुधार के लिए आपने बहुत कार्य किया।