Jangid Brahmin Samaj.Com

महात्मा लहरदास जी बावजी (1875 से 1981 ई.)

बावजी लहरदास जी जन्म संवत् 1993 भाद्रपद शुल्का अष्टमी में (1875 ई.) को हुआ। बावजी प्रारम्भ में सामान्य शिल्पी रहे हैं। परन्तु इन्हे साधुओं से सत्संग का शौक था। प्रारम्भ में ही ये विदुर हो गये और संसार से वैराग्य हो गया। अतः शिल्प कर्म को छोड़कर इन्होनें सन्यास ले लिया और ये साधु-सन्तों की संगति में योगसाधना में लग गये।
आपने जीवन में सूफी संतो, फकीरों, कबीर पन्थी, योगी व शाबरी तन्त्र आदि की साधना में सिद्धि पाई। आप चित्रकला व मूर्तिकला के विशेष दक्ष, स्वान्तः सुखाय कला कार्यो में व्यस्त रहते थे। आपने जयपुर के एलबर्ट म्यूजियम तथा उदयपुर सरस्वती भवन के आदर्श रूप देख छोटे-छोटे रूपों में मॉडल तैयार किये। आप उदयपुर क्षेत्र के चमत्कारिक महात्मा थे। 7 जुलाई, 1981 को अपने एक सौ छः वर्ष पूरे करके अपना शरीर छोड़ दिया तब महाकालेश्वर उदयपुर में अनेक चमत्कारिक साधु भण्डारे में अपने अवतार स्वरूप पहुंचे व वहीं अंतर्ध्यान हो गये।