श्री काशीपुरी जी महाराज
आपका जन्म नाम चन्द्र राम हैं। आपका जन्म सन् 1894 में ठीकसरी गांव में श्री पीनाराम जाईवाल के यहां हुआ।
हस्सी के महात्मा शिवराज पुरी के दर्शन लाभ से तथा उनके इस कथन से कि "ये सब बन्धन और नरक में जाने का रास्ता है, इस अमूल्य शरीर को बिगाड़ देना समझदारी नहीं है। आपको वैराग्य हो गया तथा 1928 में गुरू से दीक्षा लेकर काशीपुरी बन गये।
आपने दुगाली गांव के उत्तर में स्थित गूलर नामक घाटी पर जो बिल्कुल निर्जन स्थान है, 12 वर्ष तक घोर तपस्या की। फलतः दूर-दूर के महानुभाव दर्शनाभिलाषी वहां आपके आश्रम में आते रहते हैं। आप दयालु , इन्द्रिय जीत तथा योगी महात्मा है।
आपके शिष्य उस्ताऊ गांव के जांगिड वंश के श्री रामपुरी जी आपकी सेवा में संलग्न रहते हैं।