पं. नेमीचन्द जांगिड
अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा दिल्ली के प्रधान, राजस्थान सरकार द्वारा भामाशाह अवार्ड से सम्मानित दानवीर, उदारमना, गौसेवी वरिष्ठ समाजसेवी एवं उद्योगपति श्रीमान नेमीचंद जी शर्मा का जन्म दिनांक 16 जुलाई 1962 को ग्राम लाडपुरा, जिला नागौर (राज.) निवासी स्व. श्री जंवरीलाल जी जांगिड के यहां माता मोहिनी देवी जी की कोख से हुआ। जिन्होंने सत्य के पथ पर चलकर कर्मठता और व्यावहारिकता के बूते पर शून्य से शिखर पर पहुंच कर परिवार, कुल और समाज को तो गौरवान्वित किया ही साथ ही मानव मात्र के लिए भी एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। 6 फरवरी 1984 को आपका विवाह स्व. श्री रामचंद्र जी सीलक निवासी ग्राम मोरियाना, तहसील डेगाना, जिला नागौर (राज.) की सुपुत्री संतोष देवी के साथ संपन्न हुआ। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती संतोष देवी भी यथा नाम तथागुण होकर संतोषप्रद स्वभाव की मिलनसार, अहंकार शून्य, सेवाभावी महिला है। आपके एक सुपुत्र श्री रौनक शर्मा व दो सुपुत्रियां श्रीमती अन्नु शर्मा एवं श्रीमती दिव्या शर्मा है। सुपुत्र रौनक शर्मा का विवाह घड़ोई कल्याणपुर, जिला बाड़मेर निवासी श्री हेमराज जी देपड़ा की सुपुत्री ममता के संग संपन्न हुआ है। दोनों सपुत्रियों का विवाह जयपुर में हुआ है। रौनक शर्मा आपके व्यवसाय में ही आपका हाथ कुशलतापूर्वक बँटाते हैं। घर परिवार की जिम्मेदारियों को आपकी धर्मपत्नी तथा व्यावसायिक दायित्वों को आपके सुपुत्र बखूबी निभा रहे हैं, जिससे आप निश्चिंत होकर अपना संपूर्ण जीवन समाजसेवा को समर्पित किए हुए हैं।
आपकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम लाडपुरा में तथा तकनीकी (स्नातक) किशनगढ़ में अपनी बड़ी बहन श्रीमती नौरती देवी के पास संपन्न हुई। आपका जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा किन्तु महत्वाकांक्षा आपकी प्रबल थी। वर्ष 1984 में आप अहमदाबाद आए तथा वर्ष 1997 तक टेक्सटाइल व्यवसाय से जुड़े रहे। वर्ष 1997 में आपने गांधीधाम में ब्लेज इंटरनेशनल प्रतिष्ठान के द्वारा प्लास्टिक आयात-निर्यात के क्षेत्र में कदम रखा। ईश्वर व माता- पिता के शुभ आशीर्वाद, धर्मपत्नी के कंधे से कंधा मिलाकर किए गए सहयोग और कर्मठता व्यवहार कुशलता के बूते पर आपने व्यवसायिक तथा सामाजिक क्षेत्र में चहुंमुखी विकास कर कीर्तिमान स्थापित किये।
अपार सफलता के पश्चात् भी आप में लेशमात्र भी अहंकार नहीं आया अपितु फल लदे पेड़ की तरह आप और अधिक विनम्र, सरल तथा उदार होते चले गए। आपका व्यक्तित्व कुछ ऐसा है कि जो भी आपसे एक बार मिलता है वह सदा के लिए आपका हो जाता है। भामाशाह श्री नेमीचन्द जी ने व्यवसाय प्रारम्भ करने के समय से ही हमेशा अपने जीवन में धार्मिकता व दान-पुण्य को महत्वपूर्ण स्थान दिया है।
जैसे जैसे आपकी आय बढ़ती गई, उसके साथ-साथ आप में दान की प्रवृति भी बढ़ती ही गईं। अन्नदान महादानम् विद्या दानम् तरूपरम् की उक्ति को सार्थक करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में आप हमेशा बढ़ चढ़कर सहयोग प्रदान किया। समाज के सैकड़ों विद्यार्थियों की शिक्षा में आर्थिक सहयोग तथा स्कूलों व छात्रावासों के निर्माण में लाखों करोड़ों रुपए लगाए। 500 कन्याओं हेतु रियां बड़ी (नागौर) की स्कूल का सम्पूर्ण निर्माण इसका उल्लेखनीय उदाहरण है। इस प्रोजेक्ट को देखते हुए ही राजस्थान सरकार ने आपको भामाशाह अवार्ड से अलंकृत किया। गावो विश्वस्य मातरः को आत्मसात् करते हुए स्वयं की गौशाला के साथ-साथ वर्षों अनेकों गौशालाओं के संचालन में लाखों की राशि दान की। आपका मानना था कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। इसलिए सामाजिक व वैदिक साहित्य के प्रकाशन व प्रचार-प्रसार में लगातार सहयोग करना इनके जीवन का हिस्सा बन गया ।
आप जांगिड ब्राह्मण समाज समिति गांधीधाम, आर्य समाज गांधीधाम तथा मारवाड़ी युवा मंच के सक्रिय सदस्य बने, इन संस्थाओं में आपने अनेक पदों को सुशोभित किया। वर्ष 1998 में अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा, दिल्ली के नासिक (महाराष्ट्र) में आयोजित अधिवेशन में आप स्व. श्री भगवानदत्त जी शर्मा जेतूसर वालों की प्रेरणा से महासभा से जुड़े। आप महासभा के स्वर्ण सदस्य बने। वर्ष 2007 से वर्ष 2010 तक आप जांगिड ब्राह्मण सभा गुजरात के अध्यक्ष रहे, लगातार 9 वर्षों से महासभा में आप उपप्रधान, प्रदेश प्रभारी तथा अन्य पदों पर सेवाओं से समाज को लाभान्वित करते रहे। आपने समाज के आग्रह को स्वीकार कर महासभा प्रधान पद पर उम्मीदवारी प्रस्तुत की तथा जन-जन का विश्वास और समर्थन आपके साथ होने से आप विजयी होकर महासभा के प्रधान चुने गये।
कोविड महामारी में भी आपने अथक प्रयास कर गतिशीलता बनाये रखी। परन्तु कोविड महामारी ने संक्रमण के कारण कालग्रसित हो दिनांक 05-07-21 को अपना भरापूरा परिवार छोड़ देवलोकगमन कर गये। यह समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।