पं. कृष्णलाल शर्मा
रेवाड़ी के पं० प्रेमसुख शर्मा के पुत्र पं० कृष्णलाल शर्मा ने वेद की यह आज्ञा 'सौ हाथों से कमाओ एवम् हजार हाथों से दान करो' को अपने जीवन में चरितार्थ करते हुये विशाल सम्पत्ति अर्जित कर दरियागंज दिल्ली में निवास किया । इन्होंने सर्वप्रथम गुड़गावां के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिये एक हजार रु० महासभा को दिए । बी० ए० के बाद पढ़ने वाले छात्रों का सारा व्यय वहन किया । मृत्यु से पूर्व अपने पिता के नाम पर प्रेमसुख ट्रस्ट बनाया । इनकी मृत्यु के पश्चात् इनकी धर्मपत्नी श्रीमती जावित्री देवी ने ट्रस्ट को डेढ़ लाख रु० एक साथ दान देकर इनके नाम पर के० एल० कॉलेज की स्थापना की । उसके प्रांगण में इनकी आदमकद मूर्ति की भी स्थापना कराई । ये बाल्यकाल से ही मेधावी बुद्धि के अतिशय प्रतिभाशाली व्यक्ति थे ।
इन्होंने लाहौर कॉलेज में अध्ययन करते हुये दसवीं के छात्रों की सुविधा के लिए A popular geography of the world अंग्रेजी भाषा में लिखकर प्रकाशित की। रुड़की कालिज में इन्जीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करते हुये फरवरी १९१५ में विद्या के महत्व पर प्रथम लेख लिखकर जांगिड़ समाचार के प्रथम श्रेणी के लेखों में स्थान बना लिया। महासभा के माध्यम से समाज सेवा में सदैव अग्रणी रहे । १९३७ हिण्डोन अधिवेशन तथा १९३८ बान्दीकुई अधिवेशन की अध्यक्षता की। अक्तूबर ३७ से मई ३६ तक महासभा के प्रधान रहे। कई वर्ष उपप्रधान रहे । फरवरी ३७ से नवम्बर ३८ तक पत्र के सफल सम्पादक रहे। कृषि अधिकारों के लिए भी सफल प्रयत्न किया। इस प्रकार दानवीर, शिक्षाप्रेमी तथा समाजसेवी के रूप में ये चिरस्मरणीय हैं।