पं. गोकुल नारायण एडवोकेट
जयपुर के प्रसिद्ध समाजसेवी एवम् राज्य के प्रमुख वास्तुविद् उस्ता रामनारायण जी जागीरदार के अनुज पं० गिरधारीलाल के यहां १७ जुलाई १९०८ को पं० गोकुलनारायण का जन्म हुआ । १९३३ में बी. ए., एल. एल. बी. कर चीफ कोर्ट में वकालत प्रारम्भ की। मेधावी मस्तिष्क एवम् लगनपूर्वक कार्य द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों में विशिष्ट स्थान बना लिया । कमजोर से कमजोर केस में भी रास्ता ढूंढ निकालने में दक्ष थे। ये कानून के पण्डित, व्यवहार कुशल, सच्चे मित्र तथा कलात्मक रुचि युक्त व्यक्ति थे ।
स्वतन्त्रता से पूर्व या पश्चात् जब भी किसी स्थान पर अपने भाइयों के पानी बन्द करने या अन्य किसी प्रकार से तंग करने की जानकारी इन्हें दी गई तो इन्होंने दूर दूर तक जाकर अधिकारियों से मिलकर कानूनी ढंग से सहायता की और उनको कठिनाई दूर कराने में सहयोग दिया । इस प्रकार ये समाज के सच्चे हित चिन्तक थे । इन्होंने सितम्बर १९४४ में महासभा के खण्डेला अधिवेशन पर अध्यक्षता की तथा कई महीने महासभा के प्रधान रहे । जयपुर के विश्वकर्मा प्रेम मण्डल के लगातार कई वर्षों तक विधि परामर्शदाता रहे । महासभा के कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिये इन्होंने ५० हजार रुपये के स्थायी कोष का सुझाव दिया, इन्होंने अपनी सभी सन्तानों प्रो० कैलाशचन्द्र (M. Sc.), प्रकाशचन्द्र (बी० ए०, एल० एल० बी०) तथा सतीशचन्द्र (B.E.) आदि को सुशिक्षित करवाया। ४ फरवरी १९६५ को वे इस असार संसार से विदा हो गए।