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पं. दीनदयाल शर्मा

Deen Dayal Sharma


जाति के पुराने एवम् प्रारम्भिक कार्यकर्ताओं में थे । इन्होंने गुरुदेव पं० जयकृष्ण मणीठिया के साथ मिलकर कार्य किया । ये हाथी दांत के कार्य में पूर्ण दक्ष थे तथा बहुत समय तक हाथी दांत व हिकमत दोनों कार्य साथ साथ करते रहे। १९०८ में दिल्ली पाठशाला के मन्त्री के रूप इनका समाज सेवा के क्षेत्र में पदार्पण हुआ तथा अनेक वर्षों तक उसके मन्त्री बने रहे । १९२४ में इन्होंने ही सर्व प्रथम शेखावाटी के क्षेत्र में महासभा का प्रचार किया । जाति अभियोग के ये मुद्दई थे और उसमें दिन रात परिश्रम कर सफलता प्राप्त की । इस उपलक्ष में महासभा ने इनको एक हजार रु० का इनाम दिया । जून १९२४ से अप्रेल १९३० तक लगभग छः वर्ष महासभा के मन्त्री रहे । दिसम्बर १९३५ में भिवानी अधिवेशन के अध्यक्ष तथा अक्तूबर १९३७ तक प्रधान रहे । इन्होंने सर्वप्रथम १९३५ में जांगिडोत्पत्ति के आधार पर गोत्रावली का सम्पादन किया । इनकी भाषण शक्ति बहुत अच्छी थी और महासभा ने ‘व्याख्यान वाचस्पति' की उपाधि से इन्हें सम्मानित किया। शास्त्रार्थ करने में पारंगत थे तथा अनेकों शास्त्रार्थ कर उनमें विजय प्राप्त की। ९ दिसम्बर १९४८ को ४० वर्ष समाज की सतत सेवा कर यह हमसे विदा हुये।