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पं. डालचन्द शर्मा

Dal Chand Sharma


जहांगीराबाद जि० बुलन्दशहर के पं० इन्द्रमणी के आश्विन शु० ४ संवत् १९४२ तदनुसार सन् १८८४ में पं० डालचन्द शर्मा का जन्म हुआ। तीन वर्ष ग्राम की पाठशाला में तथा ६ वर्ष झांसी में शिक्षा प्राप्त कर अजमेर रेलवे वर्कशाप में ड्राफ्टसमैन हो गये । नौकरी करते हुये इन्होंने इलेक्ट्रिकल मकैनिकल इन्जीनियर का कोर्स पास किया । प्रथम महायुद्ध में इन्होंने तीन वर्ष तक बसरा में काम किया । ये १९२५ में लखनऊ वाटर वर्क्स के सुपरिन्टेन्डेन्ट बन गये ।
समाज सेवा का अंकुर इनके मन में डा० इन्द्रमणी की प्रेरणा से हुआ। दिसम्बर १९०५ की मथुरा बैठक में भी ये सम्मिलित हुये । २ वर्ष तक प्रतीक्षा के उपरान्त अजमेर में सभा की स्थापना में इनका प्रमुख हाथ था। जांगिडा समाचार के भी प्रथम सम्पादक बने तथा १५ जनवरी १९०८ से मार्च १९११ तक तथा जनवरी १९९५ से अक्टूबर १९४५ तक पत्र का ४ वर्ष एक महीने सम्पादन किया १९१८ सोनीपत, १९२२ लुधियाना, तथा १९३० दिल्ली अधिवेशनों की अध्यक्षता की। लगभग ५ वर्ष तक महासभा के प्रधान रहे । १९२१ में लाहौर में जनगणना कमीश्नर से डेपुटेशन में भी मिलने गये । इन्होंने अत्यन्त त्याग और प्रेम से जाति सेवा की है ।
इनका प्रथम विवाह १९०१ में मेरठ में हुआ था । २४ जून १९०८ को इनकी धर्मपत्नी का देहान्त हुआ। घर पर वृद्धा माता, एक पुत्री तथा डेढ़ वर्ष के पुत्र की निराश्रित गृहस्थी का भार होते हुए भी जाति सेवा में रंच मात्र कमी न आने दी, १७ मई १९१० को इनका दूसरा विवाह पं० पन्नालाल चन्दौसी के यहां हुआ । इन्होंने पंचों को वैदिक रीति से संस्कार न करने पर विवाह से ही इन्कार कर अपनी आदर्शवादिता का परिचय दिया तथा वैदिक रीति मान्य करने पर ही विवाह संस्कार कराया । इस प्रकार महासभा तथा पत्र के संस्थापक, जाति के प्रथम नेता के रूप में कर्मठता, नियमितता एवं आदर्शवादिता से सेवा करते हुए २९ सितम्बर १९३० को महाप्रयाण कर गये । आज भी जांगिड ब्राह्मण पत्र इनकी चिरस्मृति को संजोये हुये है ।