पं. छोटेलाल शर्मा
पारिवारिक पृष्ठभूमि :
श्री छोटेलाल जी शर्मा (काकोडिया) का जन्म विजयादशमी के दिन 1909 में हुआ। आपके पिता श्री नाथूराम जी मूलरूप से सीकर जिला राजस्थान के निवासी थे, जो दो भाई थे, श्री लादूराम जी एवं श्री नाथूराम जी आपका अजमेर में ठेकेदारी का काम था । प्रारम्भ से ही यह परिवार शिक्षित अग्रणीय और नेतृत्व देने वाला रहा। श्री नाथूराम जी के पुत्र श्री छोटेलाल जी थे और श्री लादूराम जी के पुत्र श्री सौभागमल जी हैं।
रेल्वे सेवा में शुरूआत श्री छोटेलाल जी शर्मा लोको टिन व कॉपर इलाका नम्बर 11 पश्चिम रेलवे अजमेर में वरिष्ठ फोरमेन के सबसे ऊँचे पद पर कार्यरत रहे । जहां आपने 42 वर्षों का सेवाकाल पूर्ण कर अतुल सम्मान एवं पूर्ण प्रतिष्ठा के साथ अवकाश ग्रहण किया। आप सन् 1925 के मार्च माह में एपेरेन्टिस रहने के बाद प्रथम स्थान प्राप्त करके ड्राईंग ऑफिस में आ गये जहां लगभग ढाई वर्ष तक बड़े परिश्रम व लगन से कार्य किया और अपनी योग्यता के आधार पर 1933 में सुपरवाईजर पद पर पदौन्नत हुए। इसके बाद निरन्तर उत्तरोत्तर उन्नति के पथ पर अग्रसर रहे। आप 1939 में वरिष्ठ चार्जमेन व 1945 में हैडचार्जमेन के पद पर सुशोभित हुए ।
सुह्रदयी एवं मिलनसार व्यक्तित्व : आप सुहृदयी मिलनसार और कर्तव्य परायण व्यक्ति रहे । हरेक के लिये सहयोग की भावना आप में कूट-कूट कर भरी थी । सहयोग करने में आप सदैव उदारमना रहे अधिकारों का सदुपयोग करते हुए प्रत्येक रेलकर्मी के प्रति आपका दृष्टिकोण सकारात्मक व भाईचारे का रहा।
लोक सेवक के रूप में जीवन : श्री छोटेलाल जी राग-द्वेष कुटिलता, छलकपट से ऊपर व पूर्ण धार्मिक थे। आप निःस्पृही और निर्भयी व्यक्तित्व के धनी थे तथा अहंकार और मान अपमान के छिछलेपन से सदा ऊपर उठे रहे। आपका ईश्वर की सत्ता में सदा विश्वास रहा तथा शुद्ध सरल व सादा जीवन आपकी सबसे बड़ी विशेषता रही। आपके स्वभाव की मधुरता, स्निग्धता और कोमलता ने पूरे रेल्वे वर्कशॉप के अधिकारियों कर्मचारियों के हृदय में अपना अलग स्थान बनाये रखा। आप जांगिड समाज में ही नहीं रेल्वे वर्कशॉप में भी परदुःखकातर सहयोगी के रूप में जाने जाते रहे।
सामाजिक सफर...
1937 - दी जांगिड ब्राह्मण को-ऑपरेटिव बैंक लि. अजमेर के मंत्री बनाये गये।
1948 - दी जांगिड ब्राह्मण को-ऑपरेटिव बैंक लि. अजमेर के प्रधान बने ।
23-25 नवम्बर 1951 - पावटा (जयपुर) में महासभा के 31वें अधिवेशन के अध्यक्ष बने । और प्रेम मण्डल ने पावटा अधिवेशन में विश्वकर्मा लीला तथा हम्मीर हठ नामक नाटक का शानदार मंचन किया।
25 नवम्बर 1951 - महासभा के प्रधान बने।
1953 - जांगिड कॉ. बैंक के लिये जमीन खरीदी और बैंक के निजी भवन की परिकल्पना की ।
21-22 मई 1955 - आपकी अध्यक्षता में विश्वकर्मा विद्यापीठ सीकर के प्रांगण में जां. ब्रा. शाखा सभा का क्षेत्रीय सम्मेलन हुआ जिसमें अनाज के रूप में मजदूरी लेने की परिपाटी बंद करने और नकद रूप में मजदूरी लेने का प्रस्ताव पारित हुआ ।
1952-1955 में आपकी प्रेरणा से सैंकड़ो ग्रामों में ब्राह्मणत्व का प्रचार व यज्ञोपवित संस्कार करवाये गये तथा 50 के लगभग शाखा सभाओं का गठन हुआ।
28-8-1955 में आपकी देखरेख में शाखा सभा सीकर के कार्यकताओं का सम्मेलन हुआ।
12-11-1955 आपकी प्रेरणा से महासभा भवन में गुरुदेव पं. जयकृष्ण जी मणीठिया के चित्र का अनावरण पूर्व प्रधान मूलचंद जी के द्वारा किया गया।
25-12-1955 चौथ का बरवाड़ा में 32वें अधिवेशन पर सम्मान पत्र भेंट कर अभिनंदन किया गया।
5-8-1956 आपके व अन्य महानुभावों के प्रयत्नों से विश्वकर्मा प्रिंटिंग प्रेस की महासभा में स्थापना हुई और अप्रेल 1957 से जांगिड ब्राह्मण पत्र महासभा की प्रेस से छपने लगा।
20-22 अक्टूबर 1957 आपकी अध्यक्षता में डीग - भरतपुर राजस्थान में एक वृहद क्षेत्रीय सम्मेलन हुआ। विश्वकर्मा प्रेस मण्डल अजमेर ने चित्तोड़ विजय नामक नाटक का मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
20-22 अप्रेल 1958 आपकी अध्यक्षता में शाहगढ़ - जिला सागर (म0प्र0) में महासभा का 33वाँ अधिवेशन हुआ। आपको आगामी वर्ष के लिए पुनः प्रधान बनाया गया।
26-27 सितम्बर 1958 आपकी प्रेरणा से विश्वकर्मा विद्यापीठ सीकर का चौथा वार्षिकोत्सव मनाया गया। महासभा के प्रमुख पदाधिकारी भी सम्मिलित हुए।
29-9-1958 आपकी प्रधानता में तथा डॉ. मदनलाल जी दीक्षित की अध्यक्षता में चूरू राजस्थान में गुरूदेव पं. जयकृष्ण मणिठिया की समाधि पर एक भव्य श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन कर गुरूदेव को भावभीनी श्रद्धाजलि अर्पित की गई।
18-9-1958 -आपके प्रयत्नों से अंगिरा नगर हाऊसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी लि. अजमेर की स्थापना हुई । भूमि खरीदी गई और अंगिरा आश्रम कभी प्रावधान रखा गया।
1959-1960 -आपकी प्रधानत्ता में शाखा सभाओं का जिर्णोद्धार कार्यक्रम बनाया गया और सारे भारत वर्ष में तत्संबंधी कार्य किये गये।
फरवरी 1961 - आपके नेतृत्व में श्री विश्वकर्मा मंदिर पुष्कर में भगवान श्री विश्वकर्मा जी की पंचमुखी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई ।
18-7-1962 - आपके प्रधानत्व में अजमेर में जांगिड ब्राह्मण को-ऑपरेटिव बैंक की रजत जयंती बैंक की निजी भूमि पर धूमधाम से मनाई गई। बैंक प्रथम श्रेणी के कॉ. बैंक के रूप में घोषित हुआ। बैंक भवन का शिलान्यास भी हुआ और निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया।
29-12-1963 - आपकी प्रेरणा से दिल्ली में भगत भीमसेन जी जांगिड के सम्मान में एक भव्य आयोजन कर उन्हें अभिनन्दन पत्र, शॉल, श्री फल टेकर सम्मानित किया गया।
22-2-1964 - महासभा के रूप में आपने महासभा कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया।
14-1-1965 - मकर सक्रान्ति पर अंगिरा आश्रम अजमेर की स्थापना के लिए सभा हुई । आप प्रधान, गंगाराम उबाणा, श्यामलाल जी अलवरिया रामबक्ष भारद्वाज, सौभागमल जी काकोडिया गुलाबचंद जी डायलवाल निर्माणसंयोजक चुने गये।
17-18 जनवरी-1965 अंगिरा आश्रम का शिलान्यास, भूमिपूजन आपके और धर्मपत्नी श्रीमती गुलाबदेवी के कर कमलों से सम्पन्न हुआ।
6-4-1965 - आपकी अध्यक्षता में भीलवाडा राज में एक सम्मेलन हुआ तथा वहां शाखा सभा खोली गई।
22-5-1965 - आपकी अध्यक्षता में महासभा की महासमिति की बैठक अजमेर में हुई। आपकी अगुवाई में विश्वविख्यात हाथीदांत के कलाकार पं. भगत भीमसेन जांगिड के अजमेर में आगमन पर कला प्रदर्शनी आयोजित की गई और भगतजी का अभिनन्दन किया गया। विश्वकर्मा लीला का प्रदर्शन हुआ ।
14-11-1965 - आपकी प्रेरणा से अजमेर की श्रीमती सरस्वती बाई पत्नी श्री गणेशीलाल जी जाला की अध्यक्षता में विश्वकर्मा महिला मण्डल रामगंज की स्थापना की गई।
2-12-1965 - आपके प्रयत्नों से अजमेर में महासभा की शाखा सभा की स्थापना हुई ।
20-3-1966 - आप व उपमंत्री श्री रामबक्ष जी भारद्वाज संगठन कार्यों को गति देने के लिए व्यक्तिगत सम्पर्क अभियान के लिए निकले।
1-6-1966 - आपकी अध्यक्षता में चित्तौड़ के 6 परगनों की जांगिड़ ब्राह्मण समाज की बैठक हुई।
8-8-1966 - आपके नेतृत्व में जांगिड ब्राह्मण को-ऑपरेटिव बैंक अजमेर अपने निजी भवन पर कार्य करने लगा।
20-22 नवम्बर-1966 आपकी अध्यक्षता में रतलाम म.प्र. में महासभा का 34 वां अधिवेशन हुआ। विश्वकर्मा प्रेम मण्डल ने विश्वकर्मा लीला व हम्मीर हठ नाटक का मंचन किया।
22-11-1966 - आपने महासभा संविधान संशोधन हेतु समिति बनाई ।
16-17 दिसम्बर 1967 - आपकी अध्यक्षता में नारनौल हरियाणा में महासमिति की संविधान संशोधानार्थ बैठक हुई
23-6-1968 - महासभा का संशोधित संविधान पारित किया गया यह बैठक विश्वकर्मा मंदिर नई दिल्ली पर हुई। यह श्री छोटेलाल जी के महासभा प्रधान के रूप में होने वाली अंतिम सभा थी।
3-12 अक्टूबर 1970 - श्री छोटेलाल जी ने नसीराबाद मूल के रामदयाल जी सीदड़ के साथ मिलकर ग्वालियर भोपाल, सुसनेर, उज्जैन, इन्दौर, धार टोहद, बम्बई, रतलाम तथा कोटा में संगठन हितार्थ वहां के जांगिड ब्राह्मण बंधुओं से जनसम्पर्क किया।