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श्री विश्वकर्मा प्रभु के भजन

बार बार करू अरज विनती

बार बार करू अरज विनती, श्री विश्वकर्मा प्रभु ने,
म्हारी अरज सुणो महाराज, चरण रो चाकर थारो मैं ॥
जगकर्ता, जगभर्ता प्रभु तुम, आदि सृष्टि के स्वामी,
मैं बालक नादान प्रभु जी, तुम हो अंतर्यामी,
शरण पङे के तुम हो तारक, दीन दुखारी के।
म्हारी अरज सुणो महाराज, चरण रो चाकर थारो मैं ॥
शिल्पकार हो रचनाकार प्रभु, आदि सृष्टि के ध्यौता,
आप ना होते साथ प्रभु यह, जग सुंदर ना होता,
‘झाला’ की प्रभु अरज विनती, तारो म्हाने थें।
म्हारी अरज सुणो महाराज, चरण रो चाकर थारो मैं ॥
बार बार करू अरज विनती, श्री विश्वकर्मा प्रभु ने,
म्हारी अरज सुणो महाराज, चरण रो चाकर थारो मैं ॥

जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की

जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की
आओ उत्सव मनाये देव महान की
सारी दुनिया को जिस ने सजाया है
मौका उनको सजाने का आया है,
जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की.....
कला का कोश्ल दिखाने वाले
ऊँगली से दुनिया चलाने वाले
ऐसा इंजीनयर कोई देखा न दूजा
आज करे गे हम इनकी ही पूजा
जिसने सोना का लंका बनाया है
मौका उनको सजाने का आया है
जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की
युवा में चाह जगाने वाले
इंसान को राह दिखाने वाले,
देवो में है ये देव सरोतम
कर रही गुणगान खुशबु उतम
जिसने देवो का स्वर्ग सजाया है
मौका उनको सजाने का आया है
जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की

अगर विश्व में विश्वकर्मा ना होते

विश्वकर्मा, विश्वकर्मा,
ये मशीने, ये पुर्जे, ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में, विश्वकर्मा ना होते।।
विश्वकर्मा भगवान् की जय।
ये कल कारख़ाने, ये मज़दूर मिलें,
ये छैनीं हथौड़े, ये पेंच और कीलें,
ये टाटा और पेलको, ये मज़दूर मिलें, ये छैनीं हथौड़े,
ये अद्भुद हुनर, कारीगर ना होते,
अगर विश्व में, विश्वकर्मा ना होते।।
ये विज्ञान का ज्ञान, दुनियाँ से जुड़ना,
जहाजों का उड़ना, ईशारों से मुड़ना,
चमत्कार ये, दुनियाँ भर में ना होते,
अगर विश्व में विश्वकर्मा ना होते।।
ये बिल्डिंग ये इमारत, ये बाइक ये कारें,
नई सभ्यता के, ये सुन्दर नजारे,
सुशोभित हमारे, घरों में ना होते,
अगर विश्व में विश्वकर्मा ना होते।।
है अद्भुद बहुत, बेधड़क इनके अंशज,
कला में निपुण, विश्वकर्मा के वंशज,
ए लक्खा ये शर्मा, ये वर्मा ना होते,
अगर विश्व में, विश्वकर्मा ना होते.....

विश्वकर्मा महाराज म्हारा सारो सगला काज

विश्वकर्मा महाराज म्हारा, सारो सगला काज।
दोहा – रचना रा हो राजवी, करणी रा किरतार,
शिल्प सवायो आपरो, श्री विश्वकर्मा दातार।

विश्वकर्मा महाराज म्हारा, सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज, थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
मात भोवना री गर्भ में आया, माघ सुदी तेरस ने जी,
मात पिता मन हर्षाया, सखीया मंगला गाया जी,
सुवास करे गुलाल। आंगन गूंज रयी किलकार,
छायो हिवडे हरख अपार,थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
सतयुग में थे स्वर्ग बनायो, देव आसरो पायो जी,
देवादल आनंद उर छायो, गुण थारो जद गायो जी,
सुन्दर रचना करी सकार, वास्तु रचना करी अपार,
थारो गुडा मालानी दरबार, थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
त्रेतायुग मे लंका बनायी, वैभव जग में पायो जी,
कार सोवनी ईट लगाई, कंचन हेम लगायो जी,
दीनो रावण ने अधिकार, थाको लंका रे दरबार,
आवो सायेला दरबार, थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
द्वापरयुग मे द्वारिका बनायी, कृष्ण जी रे मन भायी जी,
दावु द्वारिका घणी सरायी, यादव वास बसायो जी,
थे हो इनरा रचनाकार, बनायी सागर री किनार,
दर्शन आवे नर नार, थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
इन्द्रप्रस्थ ने आप बनाया, सुदामा पूरी बनायी जी,
दुख दलिन्दर आप मिटाया, लीला अजब रचायी जी,
ईलाचल दरबार कर रया, सुर नर मुनी जयकार,
वंदन करता बारम्बार, थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
जो जन कोई निर्माण करावे, सबसे पहले मनावा जी,
सुख समृद्धि सो नर पावे, वास्तु दोष मिटावे जी,
‘श्याम’ करे अरदास, थाने सिवरे बारम्बार,
करजो भगता रो बेडो पार, थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
विश्वकर्मां महाराज म्हारा, सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज, थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥