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उत्कृष्ट कार्य के लिए इच्छा शक्ति जरूरी

सरकारी नौकरी में पूर्ववत् ढांचागत कार्यों के संपादन में कोई दिक्कत नहीं आती। 90% अधिकारी इसी तरह अपना समय व्यतीत करते हैं। लेकिन उत्कृष्ट कार्य वे ही अधिकारी कर पाते हैं, जिनमें इच्छा शक्ति उच्च कोटि की होती है। उदाहरण के तौर पर देखिये श्री टी.एन. शेषन : भारत सरकार के मुख्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष बने, तो उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत बदलाव किये, जो कि उनके पूर्व अध्यक्ष नहीं कर सके थे। पहले चुनाव में धांधली होती थी, फर्जी वोट डलवाये जाते थे। दबंग राजनैतिक नेता बूथ पर कब्जा करवा कर चुनाव करवाते थे। कहीं-कहीं तो बन्दूक की नोक पर चुनाव करवाये जाते थे। लेकिन शेषन साहब की इच्छा शक्ति इतनी प्रबल थी कि उन्होंने सभी बाधाओं को दूर कर न्याय संगत चुनाव प्रक्रिया लागू की जो आज इतिहास बन चुकी है।
जयपुर शहर में करीब 30 साल पहले एम.आई. रोड़ पर एक सरकारी भूखण्ड था, जिसके बीच मध्य में एक छोटा मंदिर जनता ने बना दिया था, जिस वजह से नीलामी करने पर कोई ग्राहक आगे नहीं आता था। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तत्कालीन जयुपर कमिश्नर से इस विषय में बात कर सुझाव मांगा। श्रीमान् कमिश्नर ने बताया कि मैं मंदिर शिफ्टिंग का काम रातोरात करवा दूंगा, लेकिन फिर आपको मेरे खिलाफ कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
अपनी योजना के हिसाब से रातों-रात व छोटे मंदिर को बीच से हटवाकर प्लॉट के एक कोने में शिफ्ट कर दिया और बाहर से मंदिर के लिए एक छोटा गेट कॉर्नर पर बनवा दिया। दूसरे दिन जनता में आक्रोश फैल गया और मामला मुख्यमंत्री के पास पहुँच गया। जनता ने कमिश्नर महोदय के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही मांग की। जनता को खुश करने के लिए लिए मुख्यमंत्री जी को उनका स्थानान्तरण करना पड़ा। यह उनकी प्रबल इच्छा शक्ति से संभव हो सका और बाद में नीलामी हो गई और वहीं प्लॉट से सरकार के करोड़ों रुपयों की आमदनी हुई।
अजमेर में गरीब नवाज ख्वाजा के दरगाह के रास्ते में दोनों तरफ अतिक्रमण मुसलमान लोगों ने कर रखा था। इस विकराल रूप से अतिक्रमण की वजह से सड़क सकड़ी होने से आम यात्रियों को असुविधा तथा ट्रैफिक जाम की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची। समाधान के लिए माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तत्कालीन जिला कलेक्टर को बुलाकर विचार-विमर्श किया। फिर कलेक्टर महोदया ने कहा-यह काम में योजना बनाकर रातों रात सम्पन्न करवा दूंगी, लेकिन आपको बाद में जनता की मांग पर मुझे हटाना पड़ेगा। यह उस कलेक्टर महोदया की प्रबल इच्छा शक्ति से हो पाया और इसके बाद जनता के दबाव के आगे उनका तुरन्त स्थानान्तरण करना पड़ा।
राजस्थान राज्य विद्युत मंडल कार्यालय जयपुर में विधानसभा भवन के सामने टिन शेड के कमरों में काफी बरसों तक चला। लेकिन एक भारतीय प्रशासनिक अधिकारी श्री पी.एन. भंडारी साहब ने एक शानदार विद्युत भवन बनाने का विचार किया। पूरा भवन बनाने का बजट सरकार नहीं दे पा रही थी, तो उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति से थोड़ा बजट हर साल सरकार से स्वीकृत करवा कर उसे तैयार करवाया, जो कि आज विद्युत भवन के नाम से पूरे जयपुर शहर में शानदार भवन के रूप में ज्योतिनगर में स्थापित हो सका।

-- ताराचन्द जांगिड (से.नि. अधिशाषी अभियन्ता) जोधपुर