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जिन्दगी जीएं खुशी-खुशी

मनुष्य जीवन व्यक्ति को बार-बार नहीं मिलता है। मनुष्य जीवन की प्राप्ति बहुत सद्कर्मों के पश्चात् होती है। मानते हैं, इस जिन्दगी में उतार-चढ़ाव आते हैं। अमीरी-गरीबी, स्वस्थ, बीमारियां, यह जिंदगी के हिस्सों में ही शामिल है। जिस प्रकार दिन के बाद रात आती है और रात के बाद पुन: दिन होता है, ठीक उसी तरह से जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। इस दुःख के समय को भी हमें निराशा से नहीं बल्कि खुशी-खुशी से काट देना चाहिए। दिमाग में नकारात्मक विचारों को स्थान न देकर सोच सकारात्मक रखकर जीवन जीना चाहिए।
व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक विचारों को सर्वोपरि स्थान देना चाहिए। सकारात्मक विचार रखते हुए मनुष्य को अध्यात्मता से नाता जोड़ लेना चाहिए एवं जिंदगी खुशी-खुशी व्यतीत करनी चाहिए। मनुष्य को सम्पूर्ण कामनाओं को त्यागकर, अहंकार रहित होकर शान्ति प्रिय जीवन जीना चाहिए।
मनुष्य को जीवन काल में तीन अवस्थाओं में गुजरना पड़ता है। बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था, बाल्यावस्था तो माता-पिता, चाचा, ताऊ के सान्निध्य में व्यतीत हो जाती है। युवावस्था, साथी, यार-दोस्तों के संग व्यतीत हो जाती है। युवावस्था में पढ़ाई के दिनों जरूर कुछ तनाव के क्षण आते हैं, जिसमें कई युवक-युवतियां बहक जाते हैं और तनावग्रस्थ हो जाते हैं। उसमें दूसरे महान् पुरुषों की जीवनी पढ़कर तनाव से बचना चाहिए। दो-चार दिन पहले ही एक न्यूज पेपर में बताया गया है कि एक आई.ए.एस. पढ़ाई के दौरान कक्षा छठी में अनुतीर्ण हो गई थी, फिर भी उन्होंने धैर्य रखते हुए पूर्ण परिश्रम से अध्ययन जारी रखा और आई.ए.एस. बनी। इसी तरह से हमें जीवन में हार नहीं माननी चाहिए। नकारात्मक विचारों को त्यागकर सकारात्मक जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए।
वृद्धावस्था में अवश्य कुछ परेशानियां आती हैं, मगर धैर्य रखकर उनका भी मुकाबला किया जा सकता है। वृद्धावस्था में जिम्मेदारियां कम है, आवश्यकताएं कम, खर्चे कम है। इस समय मनुष्य को खुशियों से जीवन जीना चाहिए। लेकिन अफसोस की बात यह है कि हमारे वरिष्ठों के पास खुशियां न्यूनतम है। वृद्धजनों के पास दुःखों का कारण अपनों से दूर रहने का गम, शारीरिक पीड़ा आदि प्रमुख कारण है।
जब आप जिन्दगी में आनन्द को तलाशेंगे तो आपका जीवन आनन्दमयी हो जाएगा। आप जीवन में छोटे-छोटे बदलावों के जरिये अपनी जिन्दगी में खुशी के रंग भर लेंगे। इन बदलावों के द्वारा आपकी जिंदगी खुशहाली से भर जाएगी।
अपनी दिनचर्या को बदलिए :- कुछ नया अजमाइए किसी दिन जल्दी उठे। सैर को जाएं। दिन में नाश्ता बाहर का करें। नई जगह पर जाए समय अच्छा व्यतीत होगा।
युवाओं बच्चों के साथ समय बिताइए :- कुछ समय हमें युवाओं के साथ कुछ समय बालकों के साथ बिताइएं आपको नए-नए अनुभव, आचार-विचार, सुनने को मिलेंगे और दुःख को भूल जायेंगे। युवाओं-बच्चों के साथ जाने पर आपको बचपन का आभास होगा, नई ऊर्जा आपमें आएगी और खुशीखुशी समय व्यतीत होगा।
अपने दोस्तों को घर बुलाएं : - कभी-कभी आप अपने चहेते दोस्तों को अपने घर बुलाएं, कभी आप अपने दोस्तों के घर जावें। उनके साथ ढेरों बातें करें, बीते अच्छे दिनों को याद करें। गप्प-शप्प लड़ाइए, दिन भर गपशप में ही निकल जाएगा। आप अपने आपको स्वस्थ महसूस करेंगे। आप ऐसा महसूस करेंगे कि यही तो जीवन है, जिसकी मुझे तलाश थी।
कुछ दोस्तों को सरप्राइज देखें :- किसी भी दिन पुराने दोस्तों के घर कोई उपहार लेकर चुपचाप पहुँच जावें, इससे एक तरफ आपके रिश्ते मधुर होंगें और रिश्ते मजबूत भी होंगे। आप उनसे मिलकर खुशी महसूस करेंगे।
नज़रिया बदलिए :- आप काम से रिटायर हुए हैं, जिन्दगी से नहीं। रिटायरमेन्ट भी बचपन एवं युवावस्था की तरह जीवन का हिस्सा ही है। कभी-कभी धार्मिक पुस्तकें पढ़ें। सैर-सपाटों, धार्मिक स्थलों पर जावें। स्मार्ट फोन ले आएं इससे फेसबुक, व्हाट्सअप, टिवीटर के द्वारा लोगों से जुड़ें नई-नई जानकारियां प्राप्त करें, आपको बहुत आनन्द आएगा। अंत में समस्त प्राणियों को ईश्वर समान मानकर, सत्य एवं प्रिय वचन बोलकर दान पुण्य करके, सकारात्मक सोच रखकर खुशहाल जीवन जिया जा सकता है।

-- रोहिताश्व जांगिड (से.नि. शिक्षक)