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हमें जीवन में अच्छाइयों का साथ देना चाहिए

संसार में रहने की भी एक कला है, इस कला को जो समझ गया और इसके अनुसार वह आचरण करता गया वह कल्याण का भागी होकर मान-सम्मान अर्जित करता है।
संसार में भिन्न-भिन्न स्वभाव के लोग होते हैं कोई दयालु, कोई क्रूर, कोई क्रोधी, कोई क्षमावान, कोई लोभी, निलोभी, कोई दानी, कोई कंजूस, कोई विद्वान, कोई मूर्ख तथा कोई त्यागी और कोई भोगी, कोई विनम्र तो कोई आक्रामक। इस प्रकार विषम भाव से संसार भरा पड़ा है। यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम कैसे रहें हमारे आचरण कैसे हों, आचरणों में अच्छाईयां हों।
भगवान ने हमें मानव जीवन अच्छाई करने के लिए दिया है ताकि हम कुछ और अच्छाईयां कर सकें हमारे जीवन में अच्छाईयां करने के कई अवसर आते हैं। दूसरों के दुःखों में सहानुभूति जताना, अभावग्रस्त की मदद करना,विनम्रता का आचरण करना, मगर हम हर अवसर पर कंजूसी कर बैठते हैं। हमें हर जगह अच्छाईयां करते लोग मिल जायेंगे। हम किसी अनजान रास्ते पर हैं तो वह हमें सही रास्ता दिखायेगा किसी बात से हम अनजान हैं तो वह हमें उचित सलाह देकर मदद करेगा। अच्छाई पसंद आदमी आपको हर जगह मिल जाते हैं।
किसी जमाने में ऐसे चिकित्सक भी हुआ करते थे जो रोग ठीक होने के बाद ही अपनी फीस लिया करते थे। आज के इस दौर में जब चिकित्सक का पवित्र पेशा भी विश्वसनीय नहीं रहा है आज चिकित्सक विभिन्न बहाने जांच आदि के नाम पर पैसा बटोर रहे हैं। परन्तु आज भी हमें अच्छे लोग मिल ही जाते हैं जो मरीज के साथ अपनापन दिखाकर अपना भरपूर समय देकर उचित इलाज सलाह देकर भी अपनी फीस नहीं मांगते। अच्छे लोग हर कहीं मिल जाया करते हैं। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यात्रा करते समय भी हमें औरों की मदद करते रहना चाहिए, औरों के बैठने के लिए हमें उचित स्थान दिलाने में सहयोग करते रहना चाहिए।
हमें ऐसा इंसान जब मिलता है जो अपने पद प्रतिष्ठा और पावर को अलग रखकर दूसरों की नि:स्वार्थ मदद करते हैं। छोटी-छोटी बातों पर दूसरों की प्रशंसा करना नहीं भूलते हैं। हमें रास्ते की मुलाकात में कोई मुस्कुराता दिखाई दिया और उसके खुले दिल का छोटी-सी बात पर खूब दिल खोलकर ठहाके लगाये हों। इस प्रकार थोड़ी सी अच्छाईयां हमारे सामने परोसकर उसने अनेक अच्छे व्यक्तियों की और उनके द्वारा किये अच्छाईयों के काम की याद हमें दिला दी। हमें अगर किसी की अच्छाईयों के कार्य की जानकारी भी मिलती है तो वह जानकारी भी हमें अच्छे कार्य के लिए प्रेरित करती है और ऐसे में हमारा मन भले लोगों के प्रति कृतज्ञता से भर जाता है कभी-कभी थोड़ा सा क्रोध भी हमारी की गई अच्छाईयों पर पानी फेर जाता है। क्रोध से बचना भी अच्छाईयों में माना जाता है। ऐसे में हमारे नाप तोल करने वाले दिमाग को संतुष्टि मिलती है कि हमने क्रोध पर काबू पाकर अच्छा कार्य किया। लेखा-जोखा वाला हमारा दिमाग तुरंत हिसाब में जुट जाता है क्या अच्छाई की गई है।
यह सच है कि, एक अच्छा आदमी दूसरों को भी अच्छा बना सकता है। हमारे द्वारा की गई अच्छाईयां समाज की अच्छाईयों को भी सामने लाएगी और अन्य लोग भी भले होते रहेंगे। हम स्वयं को सांत्वना दें कि भगवान हमें थोड़ी-थोड़ी अच्छाईयां करने का मौका प्रतिदिन देता रहे, भटके को सही रास्ता दिखाना किसी छोटी सी गलती पर भी हंसकर माफी मांग लेना, दीनहीन की मदद करना, भिखारी को कुछ दे देना, किसी गरीब से बगैर भावताव किये समान खरीद लेना, अनजान की बात भी अच्छी लगे तो तारीफ कर देना, वाहन पार्किंग में औरों का ध्यान रखना, अनजाने से पहले आप कहना, सत्संग, मंदिर, कथा आदि भीड़-भाड़ वाली जगह में अन्य लोगों का आदर के साथ ध्यान रखना। अपनी वजह से किसी को असुविधा नहीं होने देना, घर आये आगतुंक का सम्मान करना, आत्मीयता दिखाना, जब हम अच्छाईयों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी और वे बेरी को भी सम्मान देने में तत्पर होंगे। हमारी अच्छाईयों से जीवन में एक दूसरे को ऊर्जा मिलती है और यही ऊर्जा समाज प्रगति की गति प्रदान करता हैं। हमारे द्वारा किये गये अच्छे कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी दोहराये जाते रहेंगे।

-- मोहन शर्मा, पत्रकार, इन्दौर