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एक अच्छे सामाजिक नेता में क्या गुण होना चाहिए

जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की समस्यायें होती है। उनके समाधान के लिए उन क्षेत्रों अथवा समूह में, नेतृत्व प्रगट होते हैं, संगठन खड़े होते हैं। किसी पेशे और व्यवसाय में अलग नेतृत्व होता है। धार्मिक नेता, राज नेता, छात्र नेता, किसान नेता, मजदूर नेता, न जाने किसने प्रकार के नेता होते हैं।
उन नेताओं के अपने क्षेत्रों और समूहों में, काम के अपने तरीके होते हैं। उनकी अपनी परियोजनायें होती है। उनके अपने कार्यक्रम होते हैं। उनके अपने संविधान होते हैं। अपनी समस्यायें होती हैं। उन समस्याओं के समाधान के लिए वे संघर्ष करते हैं। उनके कार्य क्षेत्र की सीमा होती है।
मगर, सभी नेताओं में सामान्य गुण होते हैं। ये सारे गुण, नेतृत्व के लिए आवश्यक है। जिस व्यक्ति में इन गुणों का अभाव होगा, वह नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता नहीं रखता।
नेता में सबसे पहला गुण है, उसमें समस्याओं को समझने तथा संगठन को दिशा देने की बौद्धिक क्षमता होनी चाहिए। बौद्धिक क्षमता का अर्थ यह नहीं है कि ऊँची शिक्षा प्राप्त व्यक्ति में ही नेतृत्व गुण हो सकता है। बौद्धिक क्षमता के लिए ऊँची शिक्षा कोई अनिवार्य शर्त नहीं है।
नेता में दूसरा गुण यह होना चाहिए कि उसमें दूर-दृष्टि होनी चाहिए। दूर दृष्टि रखने वाले व्यक्ति, समस्याओं का सही विश्लेषण कर सकता है। परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगा सकता है। समाज के विकास में दूर दृष्टि रखने वाले लोग ही अच्छे नेता कहलाते हैं।
नेता में तीसरा गुण होना चाहिए कि उसमें 'दृढ़ इच्छा शक्ति' हो। दृढ़ इच्छा शक्ति रखने वाले नेता में ही संकल्प शक्ति होती है। वे किसी काम के लिए जो निर्णय लेंगे, उसको पूरा करने के लिए जी जान लगा देंगे। संकल्प शक्ति से भरा व्यक्ति, कर्मठ, परिश्रमी तथा आत्मनिर्भर होता है।
नेता का चौथा गुण है - आत्मविश्वासी होना। यदि नेता में आत्मविश्वास के गुण नहीं हो तो वह नेता नहीं बन सकता। आत्मविश्वास ही नेतृत्व के कदम मजबूत करता है। ढीला-ढाला आदमी क्या नेता बनेगा?
नेता का स्वाभाव सरल तथा सामाजिक होता है। सामाजिक होने का अर्थ है, समाज से सरोकार बनाये रखना संबंध बनाये रखना। नेता समाज से जितना जुड़ा होगा, उनकी समस्याओं, उनके सुख-दुःख में जितना भागीदार बनेगा। वह समाज में उतनी ही लोकप्रियता हासिल करेगा। नेता के लिए लोकप्रिय होना जरूरी है। असल में 'नेता' को अपने को लोक-सेवक के रूप में ही समाज के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।
नेता में संकट और संघर्ष झेलने की क्षमता होनी चाहिए। नेता को उस नाविक के समान होना चाहिए, जो तूफान के बीच से उफनती तरंगों से संघर्ष करता हुआ, अपनी नाव को किनारे पहुँचाये।
नेता में समय पर निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए समय ठहरता नहीं है। जिस तरह फसलों के मर जाने के बाद, होने वाली बरसात व्यर्थ है। वैसे ही समय बीत जाने के बाद, लिया गया निर्णय अपनी सार्थकता गँवा देता है।
नेता में सादगी का होना, जरूरी है। महात्मा गांधी ने कहा था जब तक हमारे देश के लोगों के बदन पर पूरे कपड़े नहीं होंगे, मैं भी अधनंगा ही रहूँगा।
नेता का चरित्र भिन्न और निष्कलंक होना चाहिए। उसमें नैतिकता का होना आवश्यक है। नैतिकता के अभाव में नेता के आचरण दुषित हो जायेंगे। नैतिकता के अभाव में नेता नीति और सिद्धांत की पट्टी पर नहीं चल सकेगा।
नेता प्रगतिशील विचारों का होना चाहिए। वह दूसरों की बातें सुने, उनका सम्मान दे। नेता यह मानकर चले कि यदि मुझे कहने का हक हासिल है तो मुझे दूसरों को सुनने का कर्तव्य भी निभाना चाहिए। नेता को हमेशा दूसरों के कहने के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
इन गुणों के अलावा अनेकों गुण हैं, जो नेताओं में होने चाहिए। नेता में ये सारे गुण हों, मगर वह समय पर किसी कार्य का निर्धारण करने में विफल हो जाये तो, उसके ये सारे गुण, व्यर्थ हो जायेंगे।

-- डॉ. लक्ष्मी निधि, जमशेदपुर