जी सको तो जियो जूझकर, अमरता चरण चूम लेगी
मानव जीवन एक अनवरत प्रवाह है, जहाँ हर लहर नवीन संभावना और चुनौती का संदेश लाती है। यह यात्रा न तो सरल है, न ही स्थिर । इस यात्रा में वही व्यक्ति अपनी अमिट छाप छोड़ता है, जो अकेले चलने का साहस और आत्मबल में विश्वास रखता है।
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम, सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी ।।
जब पथरीले मार्ग पर कोई सहयात्री नहीं होता और हर ओर सन्नाटे का साम्राज्य व्याप्त होता है, तब आत्मा की गहराइयों से उपजा साहस ही वास्तविक पथप्रदर्शक बनता है। अकेलेपन की यह स्थिति भय नहीं, बल्कि एक दिव्य अवसर है, जहाँ व्यक्ति अपने आप को खोजता है और एक नयी दिशायात्रा का आरंभ करता है। जो इस अकेलेपन को संबल बना लेता है, वही सफलता के रथ पर आरूढ़ होता है।
सदा जो जगाये बिना ही जगा है, अँधेरा उसे देखकर ही भगा है।
मनुष्य की जागरूकता उसके व्यक्तिव का प्राण है। बाहरी आलोक के बजाय भीतर के दीपक का प्रज्ज्वलन ही जीवन को दिशा प्रदान करता है। अंधकार केवल एक आभास है, जो उस क्षण विलुप्त हो जाता है, जब आत्मा का प्रकाश अपने पूर्ण तेज में प्रस्फुटित होता है। वही जीवन सार्थक है, जहाँ जागृति का दीप बिना किसी बाहरी प्रेरणा के प्रज्वलित हो और अंधकार का कोई अस्तित्व शेष न रहे।
वही बीज पनपा, पनपना जिसे था, घुना क्या किसी के उगाये उगा है।
जीवन का उत्कर्ष उस बीज की भाँति है, जो अपनी आंतरिक संभावनाओं के आधार पर विकसित होता है। बाह्य सहारे उस बीज को उगा नहीं सकते, जो भीतर से घुन भरा है। सफलता उन्हीं का प्रसाद है, जो अपने भीतर की शक्तियों को पहचानते हैं और उनका सिंचन करते हैं। आत्मनिर्भरता और आत्मबोध का यह संदेश हर साधक के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
अगर उग सको तो उगो सूर्य से तुम, प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ।
सूर्य का तेज और उसकी अनुशासनबद्धता प्रेरणा का प्रतीक है। जो जीवन को सूर्य की भाँति ऊर्जस्वित और उद्देश्यपूर्ण बनाते हैं, वे ही वास्तविक ऊँचाईयों को प्राप्त करते हैं। सूर्य की भाँति उगने का तात्पर्य है निरंतरता, धैर्य और अपने कर्म में अडिग रहना। प्रखरता उसी की धरोहर है, जो अपने तेज और अनुशासन से जीवन को आलोकित करता है।
सही राह को छोड़कर जो मुझे, वही देखकर दूसरों को कुड़े हैं।
जीवन में पथ का चयन सबसे महत्वपूर्ण है। जो अपने मार्ग से विचलित होते हैं, वे न केवल अपनी यात्रा को कठिन बनाते हैं, बल्कि अपनी असफलता का कारण दूसरों में खोजते हैं। यह संकेत है कि व्यक्ति को अपने जीवन में मूल्यों और आदर्शों के प्रति अडिग रहना चाहिए। सत्य के पथ पर चलने वाले का मार्ग कठिन हो सकता है, किंतु उसकी परिणति सदैव शुभ होती है।
बिना पंख तौले उड़े जो गगन में, न संबंध उनके गगन से जुड़े हैं।
जो बिना अपनी क्षमताओं का आकलन किए ऊँचाई पर पहुँचने का प्रयास करते हैं, वे अक्सर विफल होते हैं। आकाश में उड़ने का स्वप्न तभी साकार होता है, जब पंख सुदृढ़ और उड़ान के योग्य हों। यह जीवन का सत्य है कि स्थायी सफलता उन्हें ही मिलती है, जो अपनी सीमाओं और शक्तियों का संतुलन बनाकर आगे बढ़ते हैं।
अगर बन सको तो पखेरु बनो तुम, प्रवरता तुम्हारे चरण चूम लेगी।
पक्षी की तरह स्वतंत्रता और निडरता जीवन का सार है। जो व्यक्ति अपने जीवन में इस प्रकार की स्वतंत्रता का अनुभव करता है, वही प्रवरता का अधिकारी बनता है। पक्षी अपनी उड़ान में किसी बाधा को स्वीकार नहीं करता और यही उसकी महानता का कारण है। जीवन में भी इस प्रकार की निर्भीकता और स्वतंत्रता को अपनाना सफलता का मार्ग है।
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े हैं, कभी पग न उसके शिखर पर पड़े हैं।
शिखर तक पहुँचने का मार्ग हिमाच्छादित कठिनाइयों से भरा है । जो इन बाधाओं से लड़ने का साहस नहीं कर पाते, उनके लिए शिखर केवल एक स्वप्न रह जाता है। जीवन का संघर्ष ही व्यक्ति को उसकी वास्तविक क्षमता का आभास कराता है। कठिनाइयों से जूझने वाला व्यक्ति ही शिखर पर पहुँचने का अधिकारी होता है।
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से, वही जी चुराकर तरसते खड़े हैं।
अपने व्यक्तिगत सुख और स्वार्थ को अपने लक्ष्य से अधिक महत्व देते हैं, वे अंततः खाली हाथ ही रहते हैं। लक्ष्य से प्रेम और समर्पण ही व्यक्ति को महान बनाते हैं। यह जीवन की सच्चाई है कि आत्मत्याग और समर्पण के बिना कोई भी उपलब्धि संभव नहीं ।
अगर जी सको तो जियो जूझकर तुम, अमरता तुम्हारे चरण चूम लेगी।
संघर्षपूर्ण जीवन जीने का अर्थ है हर परिस्थिति में अपने आदर्शों और मूल्यों के प्रति निष्ठावान रहना। जो व्यक्ति अपने संघर्ष से पीछे नहीं हटता, वही जीवन में अमरता प्राप्त करता है। अमरता का अर्थ केवल शारीरिक अस्तित्व नहीं है, बल्कि उस छाप से है जो हम अपने कार्यों और प्रयासों से विश्व पर छोड़ते हैं। जीवन में आत्मनिर्भरता, साहस और संघर्षशीलता ही सच्चे अर्थों में सफलता और महानता की कुंजी है। जब मनुष्य इन मूल्यों को अपनाता है, तो वह न केवल अपने लिए, बल्कि समस्त समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।
-- -देवेन्द्रराज सुथार, जालौर