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Chahju Lal Jangid

विधुर की व्यथा

रूचि, रूझारू, प्रकृति, विचारधारा, शिक्षा-दीक्षा, शारीरिक, सौष्ठव रखने वाले युवक व युवती का प्रणय सूत्र बंधन हो जाता है तो वह एक आदर्श युगल बन जाता है। ऐसे युगल में अटूट प्रेम होता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो वे “दो शरीर और एक आत्मा बन जाती है।" विधाता ने पशु-पक्षी, जीव-जन्तु सभी में युगल बनाए हैं। आदर्श युगल या अन्य युगलों में किसी पति की पत्नी का अकस्मात् देहावसान हो जाता है तो उसे भारी आघात होता है यदि किसी युगल के दो तीन बच्चे होते हैं तो और भी भारी संकट आ जाता है। ईश्वर ने मनुष्य को नारी का संयोग वंश वृद्धि, परिवार संचालन, आनन्दपूर्वक जीवन बिताने एवं संकट के समय पत्नी द्वारा सहमति, सहयोग और परामर्श देने हेतु किया है। जब पत्नी का देहान्त हो जाता है तो ये चारों बातें छिन जाती हैं। वह अकेला, असहाय हो जाता है। उसको संयुक्त परिवार की याद आती है।
ऐसी अवस्था में वह विधुर बच्चों को किसके भरोसे छोड़े। कमाने न जाए तो खाये क्या? नई पत्नी को लाने की व्यवस्था कैसे हो? ऐसे विवाहित, अधेड़ उम्र वाले व्यक्ति को कौन पिता अपनी पुत्री दे। इन थपेड़ों से वह विधुर पागल सा हो जाता है। जब बुजुर्ग या वृद्ध व्यक्ति की पत्नी मर जाती है तो उसका जीवन और भी दुःखदायी हो जाता है। उसको पिछले वर्षों की बातें बार-बार याद आती है। अब वह अकेला हो जाता है। यह अपने तन-मन की बातें किसको सुनाये और सुने भी कौन? वह रो-रोकर जीवन व्यतीत करता है। ऐसे वृद्ध लोगों का जीवन शीघ्र समाप्त हो जाता है। अधेड़ आयु वाले पति की पत्नी जब पक्षाघात या कैंसर रोग से पीड़ित हो जाती है तो पति, पतिधर्म का पलान करते कई वर्षों तक सेवा करता है। चिकित्सा का भारी व्यय करने के बाद भी वह रोगी पत्नी पति को छोड़कर चली जाती है और वह रोता हुआ रह जाता है। पत्नी तो देवताओं के भी होती हैं। पत्नी वियोग को वे भी सहन नहीं कर पाते हैं। भगवान शिवजी की पहली पत्नी सती ने शिवजी से कहा कि मेरे पिता दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया है। आप मेरे साथ चलें। शिवजी ने कहा तुम्हारे पिता मेरे से रुष्ट हैं। बहुत आग्रह कर सती शिवजी को या स्थल पर ले गई। वहाँ राजा दक्ष ने शिवजी का न सम्मान किया और न बैठने के लिए उचित आसन दिया। इस अपमान को देखकर सती यज्ञ कुण्ड में कूद पड़ी। शिवजी क्रोध में होकर सती के शव को लेकर फिरने लगे। भगवान ने ऐसी स्थिति देखकर उस शव के नौ टुकड़े कर दिए। जो अंग जहाँ गिरा उसी नाम से देवी प्रतिष्ठित हो गई।
सती ने फिर हिमालय राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और भगवान शिवजी की तपस्या की। पार्वती का विवाह शिवजी के साथ हुआ। पार्वती को गौरी भी कहते हैं। उनकी उपासना करने से कुंवारी कन्याओं का विवाह शीघ्र हो जाता है। रावण ने साधु का भेष बनाकर छल-कपट से सीता का अपहरण किया। सीता को खोजने के लिए भगवान राम और लक्ष्मण वन-वन भटकते फिरे। पत्नी वियोग तो अवतारी पुरुषों को भी दु:खदायी होता है। काल नाग सर्प का भी सर्पिनी से अटूट प्रेम होता है। यदि कोई सर्पिनी को मार देता है तो नाग उस व्यक्ति को खोजकर डसकर मार देता है। यदि सर्प को कोई मार देता है तो सर्पिनी हत्यारे को डस लेती है। पत्नी का वियोग ईश्वर की ओर से एक प्रकार की सजा है। जिसके कारण मनुष्य दु:खी होकर जीवन बिताता है। जिस विधुर के बच्चे हैं उसको पत्नी की अत्यन्त आवश्यकता है। बच्चों के लिए कौन भोजन बनाए और कौन उनका पालन-पोषण करे। दूध पीने वाले बच्चे की माँ यदि मर जाती है तो वह बिलख-बिलख कर मर जाता है।
विधुर बहुत प्रयास के बाद पत्नी लाता है तो या तो उसको तलाक वाली नारी मिलती है या विधवा मिलती है। यदि चरित्रहीन नारी का संयोग हो जाता है तो उसका जीवन संकट में पड़ जाता है। कई तो दुःखी होकर आत्महत्या कर लेते हैं। समाज में कंवारे लड़के, लड़की पाने के लिए झुण्ड के झुण्ड मारे-मारे फिर रहे हैं। उनको कौन लड़की दे। हर माँ बाप की यही मांग रहती है कि लड़का कोई सरकारी सेवा में स्थाई हो या अच्छी आमदनी वाला हो।
विधुर यदि जवान है और चमत्कारिक या अच्छी आय कमाने वाला हो तो उसका पुनर्विवाह होना सम्भव हो जाता है। विधुर लोगों की दर्दनाक व्यथा को देखकर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि किसी व्यक्ति को विधुर न बनाए।

-- छाजूलाल जांगिड (से.नि. व्याख्याता) , नवलगढ़