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Chahju Lal Jangid

मोबाइल कितना सहायक और कितना घातक

इस नये युग में दूरसंचार के क्षेत्र में मोबाइल एक नई क्रान्ति लेकर आया है। इस छोटे से यंत्र के लिए यह कहें कि 'यह गागर में सागर' है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है। मोबाइल का संचालन इंटरनेट के माध्यम से ही होता है। हम हजारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति से बात कर लेते हैं, जैसे हम उसके सामने ही बैठे हैं। इससे हम वाट्सअप, फेसबुक, विडियो बनाकर भेज सकते हैं। इसको इतना सुलभ बना दिया गया है कि हम टेलीविजन के समाचार, फिल्म देख सकते हैं। ये कार्यक्रम चाहे कमरे में बैठे हों या यात्रा में हों सभी जगह देख सकते हैं। देश-विदेश में होने वाली घटनाएँ मिनटों में आ जाती हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए कई प्रकार के खेल, कार्टून भी आते हैं। मोबाइल के द्वारा शतरंज का खेल भी खेला जा सकता है। एनिमेशन विडिया के माध्यम से श्री गणेश, रामायण, महाभारत जैसे धार्मिक सीरियल, फिल्म बच्चे देखते हैं।
आजकल मनुष्य इतना आराम तलब हो गया है कि घर बैठे ही ऑनलाइन वस्तुएँ मंगा लेता है। हमारे सभी तरह के भुगतान मोबाइल से कर सकते हैं। वायुयान, रेल के टिकट मंगा सकते हैं। मनुष्य की यह मंशा भी रहती है कि मेरे साथ ठगी न हो जावे इसलिए मोबाइल के माध्यम से हम यंत्रों, वस्तुओं, वस्त्रों की कीमत भी ज्ञात कर सकते हैं। आजकल हर तरह का ज्ञान वेबसाइट में संग्रहीत है। गूगल या अन्य संस्थाओं द्वारा सर्च कर हम किसी भी बड़े व्यक्ति की जीवनी, किसी भी विषय का विशद ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ तक कि किसी भी शब्द का अर्थ भी विस्तार से जान सकते हैं। आजकल कई लोगों ने मोबाइल में अपने मित्रों का ग्रुप बना रखा है। किसी भी मित्र के पास कोई ज्ञानवर्धक बात और विडियो प्राप्त होता है तो वह अपने मित्रों के पास भेज देता है। मोबाइल द्वारा हम जन्मपत्री भी ज्ञात कर सकते हैं। पूर्व की तिथियाँ आगे की तिथियाँ आसानी से जान सकते हैं। मोबाइल में केलक्यूलेटर भी होता है, जिससे लाखों करोड़ों रुपयों का हिसाब भी किया जा सकता है। किसी बात को मेमोरी में रखना है तो आसानी से रखा जा सकता है। कोई नेता या व्यक्ति कोई गलत बात बोल देता है तो उस बात को मोबाइल के माध्यम से तथ्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। संकटकाल में जब स्कूल और कॉलेज, कोचिंग सेन्टर बन्द हो जाते हैं तो ऑनलाइन पर चलने वाले शिक्षण से छात्र पढ़ सकते हैं। किसी भी व्यक्ति की फोटो खींचकर उसको वाट्सअप के द्वारा दूसरे स्थान पर भेज सकते हैं। पत्र, विवाह पत्रिकाओं की प्रतिलिपि रूप में मोबाइल में भेजे जा सकते हैं। मोबाइल गृहणियों के लिए भी बड़ा उपयोगी है। आचार, चटनी, मुरब्बा, तरह-तरह की मिठाइयाँ, चाट मसालों की विधि भी मोबाइल द्वारा सीखी जा सकती हैं। जगह-जगह फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन जैसे कई खेलों को भी मोबाइल द्वारा देख सकते हैं। बैंक खातों में जमा रकम को भुगतान के रूप में स्थानान्तरण कर सकते हैं। मोबाइल अपराधियों को पकड़ने में भी सहयोग देता है। मोबाइल द्वारा यह ज्ञात हो जाता है कि अपराधी कौन से टावर क्षेत्र में है। ऐसी सफलता कई अपराधों में मिली है। मोबाइल हमारा अच्छा मित्र है। जिस कार्य में हजारों रुपये खर्च हो सकते हैं, यात्राएँ भी करनी पड़ती हैं वह कार्य कुछ रुपयों में ही सुलभ हो जाता है। सबसे बड़ी बात यह कि मोबाइल ने सारे विश्व को समीप ला दिया है। प्राकृतिक आपदाओं की सूचना तुरन्त मिल जाती है। जिससे मनुष्य अपना बचाव कर सकता है। मोबाइल तो हमारा गाइड भी है। अंजान स्थानों पर यही गाइड करता है कि हमें किधर जाना है। सारे विश्व का उसके पास नक्शा है।
मोबाइल कितना घातक मोबाइल एक छोटा या यंत्र है, परन्तु यह " गागर में सागर" की क्षमता रखता है। यह सारे विश्व को जोड़ता है। उपयोगिता की दृष्टि से यह अत्यन्त प्रशंसनीय है। परन्तु इसने भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाजों, मर्यादाओं, मानवीय मूल्यों, संस्कारों पर गहरा आघात किया है। आजकल लोगों का ऐसा शौक बन गया है कि परिवार में छोटे-बड़े सब मोबाइल रखते हैं। घर में लाख पचास हजार के मोबाइल मिल जाते हैं। उनको चलाने का मासिक खर्चा भी खूब होता है। घर का प्रत्येक सदस्य स्क्रीन टच वाला मोबाइल रखते हैं, जिस पर अंगुलियाँ चलाते रहते हैं।
घरों में मोबाइल का ऐसा चस्का चल गया है कि सास, बहू, बेटा, बेटी, पति, पत्नी सारे दिन मोबाइल पर अंगुलियाँ टचिंग करते रहते हैं। शतरंज के खिलाड़ी की तरह मोबाइल पर जमे रहते हैं। चाहे घर में कितना भी नुकसान हो जावे। चाहे चूल्हे पर दूध उफन जावे, चाहे चूल्हे पर सब्जी जल जावे। कोई ध्यान नहीं देते हैं। एक बार एक वृद्ध ससुर ने अपनी पुत्रवधू को खाना बनाने को कहा। उसने सुनी- अनसुनी कर दी। वह टस से मस नहीं हुई। वृद्ध को क्रोध आया, उसने अपनी पुत्रवधू की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। वह क्रोध को नहीं रोक सका, अब वह जेल में बैठा है। यह सत्य घटना है।
घर में पढ़ने वाले पुत्र-पुत्री पढ़ने के लिए अलग कमरे की मांग करते हैं। माँ-बाप प्रसन्न होते हैं कि मेरे बच्चों में पढ़ने की जिज्ञासा जा रही है। उनके पास मोबाइल तो होता ही है। आधी रात से भी अधिक तक मोबाइल पर अंगुलियाँ चलाकर अपने गर्लफ्रेण्ड, बॉयफ्रेण्ड से बातें करते रहते हैं। मोबाइल के माध्यम से लड़की अपने प्रेमी की तलाश खोज कर लेती है। प्रेमी अपने माँ-बाप को धोखा देकर कुछ पैसे जुटा लेता है। लड़की अपने माँ-बाप को विश्वास में लेकर कुछ रकम अपने कब्जे में ले लेती है। फिर योजना बनाकर लड़का लड़की पलायन कर जाते हैं। माँ-बाप हक्के-बक्के रह जाते हैं। वे दूर जाकर कोर्ट मैरिज कर लेते हैं। माँ-बाप पुलिस में रिपोर्ट करते हैं। पुलिस लड़का-लड़की को पकड़कर ले आती है। जब कोर्ट में बयान होते हैं तो लड़की माँ-बाप को कहती है कि मैं आपको जानती ही नहीं। माँ-बाप पसीने से तर-बतर हो जाते हैं। बेहोशी सी आने लगती है। उनका घर पहुँचना मुश्किल हो जाता है।
आजकल दुनिया में धोखा देने वाले, चकमा देने वाले लोग बहुत हो गये हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लोगों के बैंक खाता को हैक कर लेते हैं। कई नकली बैंक मैनेजर बनकर भी लोगों को आदेश देते हैं कि यह बटन दबाओ। बेचारे भोले लोग ठगे जाते हैं और उनके खाते से पैसे पार हो जाते हैं। कुछ लोग बच्चों, बड़ों का अपहरण कर लेते हैं, फिर फिरौती के लिए लाखों-करोड़ों रुपए मांगते हैं। आतंकवादी आक्रमण करते समय मास्टर माइंड के आदेश का पालन कर बम विस्फोट कर लोगों की हत्या कर देते हैं। बम्बई में होटलों पर किए गए आक्रमण तथा संसद पर किए गए आक्रमण में मोबाइल का ही सहयोग लिया था। गुण्डे, बदमाश, चोर, डाकू मोबाइल का सहयोग लेते हैं। कई व्यक्ति मोबाइल द्वारा लोगों को गालियाँ देते हैं, मारने की धमकी भी देते हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी से वे पकड़े भी जाते हैं। मोबाइल का आवश्यकता से अधिक रात-दिन उपयोग करते हैं, उन छात्रों की आँखों की ज्योति खराब हो जाती है, पढ़ाई, समय की बर्बादी होती है। मोबाइल में अश्लील चित्र भी आते हैं। इन अश्लील चित्रों को बालिग और नाबालिग देखते हैं। पोर्न विड़ियो को देखकर लोग उत्तेचित होकर आस-पड़ौस, भाई-बन्धुओं की लड़की के साथ दुष्कर्म कर बैठते हैं। ऐसे समाचार अखबारों में आते रहते हैं। कोर्ट ने ऐसे विडियो पर पाबन्दी लगा दी है।
कई छात्रों ने ब्लूव्हेल, पबजी जैसे खेलों को मोबाइल में देखकर अपनी जान गंवा दी है। मोबाइल ने झूठ बोलना भी सिखाया। रहते हैं घर में बताते हैं बाजार या अन्य गाँव में हैं। आजकल मोबाइल में चित्र आने से झूठ का पर्दाफाश हो गया।
समाधान: हम मोबाइल के माध्यम से हर चीज का ज्ञानार्जन कर सकते हैं। मोबाइल रखने वाले का कर्त्तव्य है कि मोबाइल का सदुपयोग करें न कि दुरुपयोग अपराधों के दृश्यों को और अश्लील चित्रों को देखना मानसिक विकृति का प्रतीक है। छोटे बच्चों पर पूर्ण पाबन्दी रखनी चाहिए। वे केवल उपयोगी सीरियल और दृश्य ही देखें।

-- छाजूलाल जांगिड (से.नि. व्याख्याता) , नवलगढ़